आतंकी संगठनों पर कार्यवाही करे पाक


जब समूचा विश्व नए साल के जश्न में डूबा हुआ था उसी वक्त अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान को कड़ी फटकार लगाते हुए झूठा और कपटी देश बताते हुए अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को दिए जा रहे वित्तीय सहायता के उपयोग और अपने ही देश की नीति पर गंभीर प्रश्न खड़ा किये .अमेरिका के राष्ट्रपति ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि पाकिस्तान को जो मदद आतंक के खात्मे के लिए प्रदान की जा रही थी उसे पाक आतंकियों की मदद में लगा रहा है.गौरतलब है कि अमेरिका पाकिस्तान को  विगत पंद्रह साल में 33 अरब डॉलर की भारी रकम इसलिए देता रहा ताकि पाकिस्तान इससे आतंकियों से निपट सके.किन्तु पाकिस्तान इस धन का उपयोग शुरू से ही आतंकियों  की नस्ल को तैयार करने में,उन्हें आधुनिक हथियारों से लैस करने में लगाता रहा.जिससे कुकुरमुत्ते की भांति आतंकी संगठन तैयार हो गए और पाकिस्तान इन आतंकी संगठनों का सबसे बड़ा पनाहगाह देश बन गया.इसके बाद से वाइट हाउस ने कार्यवाही करते हुए 1626 करोड़ रूपये की सैन्य सहायता को रोक दिया है वर्तमान समय में आतंकियों को संरक्षण देने वाला देश बन चुका पाकिस्तान खुद इसके गिरफ़्त में है बावजूद इसके वह आतंकियों के साथ खड़ा है.मुंबई हमले का मास्टरमाइंड,वैश्विक आतंकी घोषित हो चुका हाफ़िज़ सईद की रिहाई इसका सबसे बड़ा प्रमाण है.इसके अलावा हिक्कानी नेटवर्क,अफ़गान तालिबान और भी ऐसे दर्जनों आतंकी समूहों को अपने यहाँ पनाह दिए हुए है.मुख्य रूप से ट्रंप की यह नाराजगी हाफिज सईद के रिहाई से ही शुरू हुई थी.उसवक्त भी अमेरिकी राष्ट्रपति ने पाकिस्तान की फ़ैसले की आलोचना करते हुए पाक की आतंक के विरोध में अपनी प्रतिबद्धता पूरी करने की सलाह देते हुए उसे आतंकवाद का सुरक्षित स्वर्ग बताया था.किन्तु ट्रंप के लिए बयान को पाकिस्तान हुकुमत ने गंभीरता से नहीं लिया उसी का परिणाम है कि आज ट्रंप को इतनी सख्ती के साथ पेश आना पड़ रहा है.वैश्विक समुदाय में पाकिस्तान की छवि पहले से ही आतंक परस्त देश के रूप में बनी हुई है.भारत ने भी एक कुशल कूटनीति का परिचय देते हुए संयुक्त राष्ट्र तथा सार्क देशों की बैठक में भारत में पाक परस्ती में हुए आतंकी हमलों के सुबूत को वैश्विक मंचो पर साझा किया और यह साबित किया कि आतंकवाद के इस लड़ाई में विश्व समुदाय के सामने पाकिस्तान ने केवल झूठ और फरेब किया है.समय रहते अगर हमने  नहीं कदम उठाए तो आगे स्थिति और खतरनाक होने वाली है.पाक के संरक्षण में पल रहे आतंकी सबसे ज्यादा नुकसान भारत को पहुँचाया है संसद, मुंबई,पठानकोट,उरि जैसे कई आतंकी हमले पाक प्रायोजित आंतकवाद की कारस्तानियों के प्रमाण है.अब अमेरिका पाकिस्तान को दिए जा रहे वित्तीय मदद को रोक कर कड़ा संदेश दिया है.किन्तु यह ध्यान रखने वाली बात होगी कि पाकिस्तान के नीति और नियति दोनों में खोट है.अमेरिका ने अपने राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में भी पाकिस्तान को आड़े हाथों लेते हुए स्पष्ट किया है कि अमेरिका पाकिस्तान पर आंतकवादी सगठनों को खत्म करने के लिए दबाव बनाएगा.ट्रंप चुनाव के समय भी आंतक और पाक के गठजोड़ पर कड़ा बयान देते रहते थे यह एक अच्छा संकेत है कि राष्ट्रपति बनने का बाद भी पाक से पनपते आतंक को लेकर उनका रुख कड़ा है.ट्रंप के इस लताड़ के बाद से पाकिस्तान में खलबली मची हुई है.किसी भी राष्ट्र के लिए यह शर्मनाक स्थिति है कि उसे हर बार आतंक के मसले पर वैश्विक समुदाय से खरी-खोटी सुननी पड़ती है. बहरहाल, सवाल यह उठता है कि ट्रंप की इस सख्ती से पाकिस्तान पर क्या असर पड़ेगा ? दूसरा अहम सवाल यह उठता है कि अमेरिका की यह सख्ती भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है ? आतंकवाद के मसले पर बेनकाब हो चुके पाकिस्तान को हर वैश्विक मंच पर फ़जीहत झेलनी पड़ रही है लेकिन आतंकवाद परस्त की उसकी नीति में बदलाव देखने को नहीं मिलता.समय –समय पर छोटे –छोटे आतंकियों और उनके समूहों पर दिखावे की कार्यवाही कर पाकिस्तान अनावश्यक यह साबित करने का स्वांग रचता कि पाकिस्तान आतंकियों को लेकर सख्त है लेकिन, तमाम दबावों के बावजूद वह कभी भी आतंक की जड़ पर चोट करने का साहस नहीं जुटा पाता है.अब अमेरिका ने वित्तीय रोक लगाकर पाकिस्तान के अर्थतन्त्र की कमर तोड़ने का काम किया है.डोनाल्ड ट्रंप की कार्यवाही के बाद पाक में खलबली मची हुई है.बौखलाए पकिस्तान के विदेश मंत्री ने तथ्य  और कल्पना के अंतर को दुनिया को बताने की बात कही हैं.यह हास्यास्पद है कि तमाम सुबूत भारत ने दुनिया के सामने रखें है जिसमें यह प्रमाणित हुआ है कि पाक आतंकियों को पोषित करता है और भी देशों ने इस तथ्य को स्वीकार किया है लेकिन विदेश मंत्री मोहम्मद आसिफ़ के बयान से लगता है कि कल्पनाओं की दुनिया में वह रह रहें है तभी एक मोस्टवांटेड आतंकी उनके देश की राजनीति में अपने पाँव जमाने की बात कर रहा है और पाकिस्तानी हुकुमत हाथ पर हाथ धरे बैठी है.इन सबके बीच खबर है कि आनन-फानन में पाक सरकार आतंकी सरगना हाफिज़ सईद की संस्था जमाल-उद-दावा व फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन की संपत्ति को जब्त करने पर विचार कर रही है.बहरहाल,अगर इसबार पाक आतंकी सगठनों पर कड़ी कार्यवाही नहीं किया तो उसे घातक परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं.जनवरी के अंत में सुरक्षा परिषद की एक टीम पाकिस्तान आने वाली है.वह घोषित आतंकी समूहों की समीक्षा करेगी.ऐसे में संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों से बचने के लिए उसे सुरक्षा परिषद की टीम को संतुष्ट करना पड़ेगा यह तभी संभव है जब पाकिस्तान अपने रवैये में बदलाव लाए. अमेरिका द्वारा पाकिस्तान के इस फटकार भारत के दृष्टि से भी काफ़ी अहम है.आतंकवाद ही एक ऐसा मसला है जिस पर दोनों देशों के बीच वार्तालाप बंद है.भारत की आतंकवाद के विरूद्ध लड़ाई में पाकिस्तान रोड़ा बनकर सामने खड़ा है किन्तु , अब यह उम्मीद जगने लगी है कि अमेरिका इस लड़ाई में उस रोड़े को पस्त करने का मन बना लिया है.अगर आने वाले दिनों में पाकिस्तान ट्रंप की चेतावनी को हल्के में लेता है और आतंकी सगठनों पर कड़ी कार्यवाही नहीं करता है तो,भारत को भी गर्जन –तर्जन तथा क्रिकेट से आगे की बात सोचनी चाहिए .जिसमें सिन्धु जल समझौता सबसे प्रमुख है.व्यापार को लेकर हुए समझौतों पर भी विचार करने की आवश्यता पड़े तो इससे भारत सरकार को पीछे नहीं हटना चाहिए क्योंकि अमेरिका के दबाव के बाद अगर भारत भी तुरंत पाकिस्तान पर दबाव बनाएगा तो पाकिस्तान को मजबूरन आतंकी सगठनों पर कार्यवाही करनी पड़ेगी.आतंकी संगठनों पर कार्यवाही भारत ही नहीं वरन विश्व की शांति और स्थिरता के लिए जरूरी है.    

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