जमातियों की पर्दादारी घातक
देश में कोरोना के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं अभीतक चार हजार से अधिक मामले भारत में आ चुके हैं. 292 लोग इस प्रकोप से ठीक होकर बाहर निकल चुके हैं, तो 109 लोगों की मृत्यु भी हो चुकी है. इस तथ्य को झुठलाया नहीं जा सकता है कि जैसे ही तबलीगी जमात के मामले सामने आए जांच के बाद कोरोना का संक्रमण पॉजिटिव आने का सिलसिला शुरू हुआ समूचे देश में हड़कम्प मच गया. क्योंकि तबलीगी मरकज में देश के अधिकतर राज्यों से तो लोग शामिल हुए ही थे साथ में विदेशी नागरिक भी इसका हिस्सा थे. इन जमातियों की वजह से कोरोना का संकट और विकराल रूप धारण कर लिया है. कोरोना संक्रमण के मामले में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी देखी जा रही है. स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार 4067 मामलों में 1445 मामले तबलीगी जमात से संबंधित हैं. अभीतक जितने भी मामले आए हैं उसमें पैंतीस फीसद से अधिक मामले तबलीगी जमात से जुड़े लोगों के हैं. राजधानी दिल्ली में कोरना के अभीतक 503 मरीज हैं जिसमें 320 मरीज तबलीगी जमात से हैं. तमिलनाडु में पांच अप्रैल तक 571 पॉजिटिव मामले सामने आए जिसमें 522 केस जमात में शामिल लोगों के हैं. इससे भी अधिक चिंता की बात यह है कि तबलीगी जमात के लोग अभी भी अपनी पहचान छुपा रहे हैं, जांच से भाग रहे हैं. राज्य सरकारों को अपील करनी पड़ रही है कि जो मरकज में गए थे वो अपनी जांच कराएं. अगर जांच के लिए ये लोग गए भी हैं तो सहयोग नहीं कर रहे हैं. देश में कई शहरों से जमातियों द्वारा डॉक्टरों के साथ बदतमीजी इत्यादि की ख़बरें आने लगी हैं. जैसी ही ये खबर आई दर्जनों वीडियो सोशल मीडिया पर तैरने लगे, जिसमें से कुछ वीडियो फैक्ट चेक करने वालों ने अपनी पड़ताल में गलत पाया है. लिहाजा इन फैक्ट चेकरों का लिंक साझा कर यह बताने का प्रयास हो रहा कि तबलीगी जमात ने ऐसा कुछ नहीं किया. तबलीगी जमात से जुड़े लोगों के अक्षम्य अपराधों को छुपाने की कोशिश क्यों हो रही है. क्या जमातियों पर आरोप वीडियो देखकर लगाया गया? अब हमें इस सवाल की तह में जाना होगा. दरअसल, यह वीडियो सोशल मीडिया पर तब तैरने लगे जब डॉक्टरों एवं पुलिसकर्मियों ने आरोप लगाए कि जमाती लोग जांच में सहयोग नहीं कर रहे बल्कि डॉक्टरों एवं नर्सों से दुर्व्यवहार कर रहे हैं. कुछ वीडियो फर्जी हो सकते हैं, लेकिन उन पर लगे आरोपों को वीडियो के आधार पर खारिज़ कर देना चाहिए? गाजियाबाद में तो मानवीयता भी शर्मसार होती नजर आई जब नर्सों ने यह आरोप लगाया कि तबलीगी जमात के मरीज अश्लील हरकतें कर रहे हैं. मामले को संज्ञान में लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने रासुका के तहत कार्यवाही करने का आदेश दिया है. गौरतलब है कि तबलीगी जमात के एक-एक कर आते कुकृत्यों पर पर्दादारी इस संकट को और विकराल करने के साथ भविष्य में ऐसे संकट में इस तरह की हरकतों वाली मानसिकता के लोगों के मनोबल को बढ़ाएगी. देशभर में यह खबरें आ रही हैं कि एक समुदाय विशेष के लोग पुलिस पर हमला कर रहे. कोरोना के पीड़ित होने के बावजूद इसे छुपा रहे हैं. मस्जिदों में इक्कठा होकर नमाज अदा कर रहे हैं, जब पुलिस उन्हें रोकने का प्रयास कर रही है तो उनके उपर हमला किया जा रहा है. कोरोना को छुपाने एवं संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आने का परिणाम कितना घातक होगा इसका अनुमान उन्हें नही है? कोई भी पुकिसकर्मी अथवा मेडिकल स्टॉप उनतक पहुँचने की कोशिश सर्फ उनके तथा उनके परिवार को संक्रमण से बचाने के लिए ही कर रहा है. क्षोभ इस बात भी है कि देश में बुद्धिजीवियों का एक कबीला जबसे तबलीगी जमात के लोग पकड़े गए हैं तभी से कुतर्कों के द्वारा उन्हें जस्टिफाई करने का प्रयास किया आ रहा है. जो घटनाएं पिछले एक सप्ताह से सामने आ रही हैं वह मनुष्यता की अवधराणा को शर्मसार करने वाली है. इंसान की संस्कृति यह कभी नहीं कहती की किसी जंतु के ऊपर भी थूका जाए फिर यहां तो सारी हदें पार की जा रही है. यह विद्रूप स्वभाव किस मानसिकता का परिचायक है यह आप लोग समझिए. जीवन की रक्षा करने के लिए आने वाले पुलिसकर्मियों तथा मेडिकलकर्मियों के साथ घोर दुर्व्यवहार किया जा रहा है. वह जमात इस बात को समझने की कोशिश क्यों नहीं कर रही है कि कोरोना से विश्व पीड़ित है. इससे नरेंद्र मोदी और आरएसएस का कोई लेना देना नहीं है. यह सर्वविदित है कि इस संक्रमणकारी बिमारी का ईलाज केवल और केवल बचाव है. जिसमें सामाजिक दुरी सबसे महत्वपूर्ण है. इससे तभी जीता जा सकता है जब सभी मिलकर सहयोग करें एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी निर्देशों का पालन करें. यहाँ सहयोग तो छोड़िये तबलीगी जमात की हरकतों को देखकर यह कहने में कोई आशंका नहीं है कि उसे फैलाने की योजना रची जा रही थी. गाज़ियाबाद के बाद इंदौर में जांच के लिए गई टीम पर हमला हुआ. डाक्टर जैसे-तैसे अपनी प्राणों की रक्षा करके भागे. बाद में इंदौर के उसी इलाके में दस लोगों की कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है. सवाल सेकुलरिज्म की धारणा को लेकर भी होनी चाहिए. क्या हम किसी की आलोचना इसलिए नहीं कर सकते क्योंकि वह अल्पसंख्यक है ? क्या उनके गुनाहों को इसलिए उजागर नहीं कर सकते क्योंकिं इससे सेकुलरिज्म आड़े आ रहा है. क्या भारत के सेकुलरिज्म का स्वरूप ऐसा ही गया है जिसके आगे साम्प्रदायिक भी लजाने को मजबूर हो जाए.
इस्लामिक नेताओं को आना होगा आगे- यह बहुत प्रतिकूल समय है हमें वर्तमान में धर्म की परम्परा, रीति-रिवाज़,पूजा एवं पद्धति को त्यागना ही पड़ेगा भले ही कोरोना से राहत मिलने पर आप पूर्ववत हो जाएँ, लेकिन यह समय जीवन रक्षा का है, समाज की रक्षा का है. आपकी छोटी सी भूल आपके जीवन को काल की कोठरी में ढकेल देगी. तबलीगी जमात के साथ मुसलमानों में कोरोना को लेकर ‘भ्रांति’ शब्द का इस्तेमाल किया जा सकता है, किन्तु अगर मै इसे धार्मिक रूढ़िवादिता से लबरेज़ कट्टरता कहता हूँ, तो भी कोई आपत्ति आपको नहीं होना चाहिए. तबलीगी जमात के मुखिया मौलाना साद का बयान सबके सामने है, जिसमें वह कह रहे हैं कि मस्जिदों से अच्छा मरने की कोई जगह नहीं है. उसी ऑडियो में साद यह भी कहते नजर आ रहे हैं कि मस्जिदों को बंद करने का ख्याल दिल से निकाल दें. इस तरह के बयानों के दुष्परिणाम हमारे सुरक्षाकर्मी, मेडिकल स्टाफ़ को भुगतना पड़ रहा है. मधुबनी में पुलिस पर हुए हमले का जिक्र करें, कन्नौज के साथ कर्नाटक के हुबली और राजस्थान के कोटड़ा सहित देश में विभिन्न स्थानों से पुलिस पर हमले ख़बरें लगातार देखने-सुनने को मिल रही हैं, जहाँ मस्जिदों में सामूहिक नमाज रोकने गई पुलिस पर प्राणघातक हमले हुए. तबलीगी जमात कि ओछी हरकतों के कारण केवल तबलीगीयों पर ही नहीं बल्कि बल्कि इस्लाम पर भी सवाल उठाये जा रहे हैं. वर्तमान में इस बिमारी में एक कौम के ज्यादातर अनुयायी धर्मांध हुए हैं, वह कदापि उचित नहीं है. कोरोना वायरस के सतर्कता के मद्देनजर मक्का और मदीना जैसे इस्लाम के पवित्र स्थानों पर भी कर्फ्यू जैसे हालत हैं. फिर यह भी दुखद है कि वक्त रहते कोई मुस्लिम धर्मगुरु सामने आकर कोरोना के संक्रमण एवं बचाव पर सहयोग करने की अपील नहीं की. जब स्थिति काबू में नहीं रही तब कुछ मुस्लिम नेताओं ने आगे आकर सकारात्मक अपील की. यह बहुत जरूरी है कि मुस्लिम धर्मगुरु, मौलवी, उलेमा आगे आकर कोरोना की जाँच में सहयोग, बचाव के निर्देशों के साथ धार्मिक उपासना को सामूहिक न करें इत्यादि का सख्ती के साथ अपील करें. वक्त रहते यह नहीं रोका गया तो कोरोना की इस लड़ाई में हम हार सकते हैं और इस लड़ाई में खलनायक की भूमिका में कौन खड़ा मिलेगा यह कहने की आवश्यकता नहीं है.
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