देश की उर्जा आपूर्ति में होगा इजाफा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुडनकुलम परमाणुउर्जा संयंत्र की पहलीयूनिट देशको समर्पित किया.गौरतलब है कि यह देश का सबसे बड़ा उर्जा संयंत्र है.1000 मेगावाट की क्षमता वाले इस परमाणु बिजली संयंत्र को दुनिया की सबसे सुरक्षित परमाणु संयंत्रो में से एक बताया गया है कुडनकुलम की पहली यूनिट भारतीय परमाणु उर्जा निगम और रूस के रोसाटॉम ने संयुक्त रूप से बनाया है.यूनिट एक और दो के निर्माण में 20,962 करोड़ रूपये का खर्च आया है.जिसका 85% का आर्थिक सहयोग रूस ने दिया है.इस परमाणु संयंत्र में संवर्धित युरेनियम आधारित आधारित रुसी वीवीइआर टाइप के रियेक्टरों का इस्तेमाल किया गया है.इसकी दूसरी यूनिट इसी साल के अंत का शुरू होने की उम्मीद है. कुडनकुलम परियोजना का शुरू होना उर्जा के क्षेत्र मेंभारत के लिए ऐतिहासिक क्षण था.इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन वीडियोकांफ्रेंसिंग के जरिये एक साथ इस परियोजना को राष्ट्र के लिए लाभकारी बताया. गौरतलबहै कि इस परियोजना के साथएक लंबाइतिहास जुड़ाहै अगर हम कुडनकुलम परियोजना के घटनाक्रमों पर सरसरी तौरपर निगाहडालें तो पायेंगे कि अगर हमारेहुक्मरानों मेंइच्छाशक्ति दिखाती है तो कोई भी परियोजना अधरमें नहींजा सकती.इस परियोजना की कल्पनापूर्व प्रधानमंत्री राजीवगाँधी ने किया था भारत और सवियत रूसके बीच1988 में हुएसमझौते के तहत दोनोंदेशों ने परमाणु संयंत्र बनाने के लिए हाथमिलाया था.इस समझौतेके तहतएक हजारमेगावाट की क्षमता वालेदो परमाणुसंयंत्रों का निर्माण होनाथा.किंतु सेवियतरूस के विघटन के बाद इस परियोजना मेंतकरीबन एक दशक से अधिक समय तक खतरे के बादल मंडराते रहें.खैर, लंबे इंतजारके बाद1999 में इस परियोजना की शुरुआत की गई. जाहिरहै कि लगातार हो रहे स्थानीय विरोध के बावजूद सरकारने इस परियोजना को लेकर लगातारजनता से संवाद कायमरखा और जनता को ये भरोसादिलाया कि इस परियोजना से तमिलनाडु ही नहींअपितु देशको उर्जा के क्षेत्र में नया आयाम मिलेगा. स्थानीय नागरिकों को डर था कि इस परमाणु संयंत्र के शुरूहोने के कई खतरें उत्पन्न होंगें .मसलन रुसीतकनीकी सुरक्षित नहीं है यह एक जिंदा बम की तरहहै,इससे निकलनेवाली गैसउनके स्वास्थ्य के लिए घातक सिद्ध होगी.डर यह भी था कि उस क्षेत्र की मछलियाँ मर जाएंगी जिसकेचलते उन्हेंरोजगार मेंसमस्या आएगी. खैर,प्रेसराइज्ड वाटर रिएक्टर’ (पीडब्यूआर) वीवीईआर-1000 ने जुलाई, 2014 में बिजली की आपूर्ति की स्थिति प्राप्त कर ली थी और वाणिज्यि परिचालन उसी साल 31 दिसंबर से आरंभ हो गया था.वाणिज्यिक परिचालन की तिथि के बाद से यूनिट-1 का संचयी उत्पादन 6,4980 लाख यूनिट है तथा इस साल जून में इसकी क्षमता 100 फीसदी तक पहुंच गई. बरहाल, यह परियोजना भारत और रूस के संबंधो की प्रगाढ़ता को दर्शता है.रूस के लगातार आर्थिक, तकनीकी वैज्ञानिकों के सहयोगसे ही तमाम प्रकारकी बाधाओंके बावजूदहमने न केवल इस परियोजना को शुरू कियाबल्कि इसकेऔर भी यूनिटों को जल्द शुरूकरने की दिशा में लगे हुए हैं, भारत के लिए उर्जाकेक्षेत्र में मेंकुडनकुलम परियोजना में बड़ीउपलब्धी है.,इस मौकेपर प्रधानमंत्री ने भारतमें स्वच्छउर्जा का उत्पादन बढ़ानेके प्रयासमें एक हजार मेगावाट के इस यूनिट को महत्वपूर्ण बतातेहुए कहा कि इसी क्षमतावाले पांचऔर यूनिटेलगाए जानेकी योजनाहै.वहीँ मोदीने रूस के सहयोग का उल्लेख करतेहुए कहाकि कुडनकुलम परिमाणु संयंत्र -1 देश को समर्पित करनाभारत और रूस संबंधोमें एक और एहितासिक कदम है वहीँ रूसके राष्ट्रपति ने भी परमाणु उर्जासाझदारी को भारत के रणनीतिक साझदारी का महत्वपूर्ण हिस्सा बताया.जाहिर है कि रूसपरमाणु प्रोधोगिकी के मामलेमें विश्वके अगुवादेशों मेंसे एक है.ऐसेमें रूसका परमाणुउर्जा के क्षेत्र मेंन केवलतकनीकी के मामले मेंबल्कि आर्थिकरूप से भी सहयोगदेना भारत और रूस के संबंधो की ऊचाई को बतलाता है.इस मौके पर तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने अपनेसंबोधन मेंबताया कि राज्य सरकारइस परियोजना को लेकरसजग रहीहै और स्थानीय लोगोंके भरोसेको जीताहै.अपने दस साल के कार्यकाल में हमेशा इस परियोजना के लिए अपना समर्थन दिया है. कुडनकुलम परियोजना के शुरूहोना भारतके लिएएक सुखदस्थिति यह भी है कि भारतउर्जा की कमी से जूझता रहाहै.जल और कोयलाकी कमीके कारणभारत मेंउर्जा का उत्पादन उस पैमाने पर नहीं हो पाता था, फलस्वरूप देशमें बिजलीकी कमीहोती थी किंतु यह परियोजना उर्जाके क्षेत्र में एक बड़ी कामयाबी है.निश्चित तौर पर इस उर्जा संयंत्र के शुरूहोने के बाद देश की उर्जा आपूर्ति में भारी इजाफा होगा.
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