‘वरदा’ चक्रवात को लेकर दिखी कुशल तैयारी
तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश में चक्रवात वरदा के आने से जनजीवन पूरी तरह से अस्त –व्यस्त हो गया है.मौसम विभाग ने इस बात की पहले ही जानकारी दी थी कि वरदा नाम का तूफान सोमवार को तमिलनाडु में प्रवेश करेगा. मौसम विभाग की जानकारी के अनुसार तैयारी भी पूरी कर ली गई थी. गौरतलब है कि चक्रवात वरदा सोमवार की दोपहर दो से चार बजे के बीच में चेन्नई के उतरी तट से टकराया. उस समय उसका वेग काफी ज्यादा था किन्तु धीरे –धीरे यह तूफान कमजोर पड़ता गया. बावजूद इसके अभी तक लगभग सात लोग काल के गाल में समा चुके हैं, घर तबाह हो गये हैं, बिजली काट दी गई है, पेड़ उखड़ गये हैं, बिजली के खम्भे धाराशाई हो गये हैं तथा रेल, सड़क व वायु यातायात अवरुद्ध हो गया है. तमिलनाडु में आठ हजार तथा आंध्रप्रदेश में नौ हजार से ज्यादा लोगों को राहत शिविरों में तूफान के अंदेशे के साथ ही पहुंचा दिया गया था. चेन्नई, तिरुवल्लुर, कांचीपुरम और विल्लीपुरम में वरदा का व्यापक असर देखने को मिला. मौसम विभाग ने इस तूफान की गति पहले 140 किलोमीटर प्रति घंटे से दर्ज की किन्तु कुछ देर बाद इसकी रफ्तार कम होती गई जो सौ किलोमीटर प्रति घंटा के आस –पास रही किन्तु यह रफ़्तार भी आम जनजीवन को तहस–नहस करने के लिए काफी थी. कई जगहों पर कारें पटल गई, झोपड़ियाँ एवं टीन-टप्पर उड़ गये. एहतियात के तौर पर स्कूल ,कॉलेज में अवकाश घोषित कर दिया गया है तथा प्रशासन ने अपील की है कि लोग अपने घरों से बाहर न निकले. तमिलनाडु के साथ ही आंध्र प्रदेश में भी अलर्ट जारी किया गया है, मछुआरों को अगले 48 घंटों तक समुंद्र में नहीं जाने की सलाह दी गई है. अलर्ट के बावजूद आंध्रप्रदेश के काकीनाडा में दो मछुआरे समुद्र तट के पास से लापता हो गये हैं. तटरक्षक ने उनके तलाश व बचाव करने के लिए पहले से जहाजों को तैयार रखा है. यह सुखद बात है कि आंध्रप्रदेश में अभी तक चक्रवात वरदा से कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है. लेकिन भारी बारिश के चलते सामान्य जनजीवन पर बुरा असर पड़ा है. वैसे तो तमिलनाडु पिछले दो दशक से चक्रवाती तूफान वरदा की चपेट में आता रहा है, मगर इसबार इसकी रफ्तार हरबार से ज्यादा रहने का अनुमान लगाया गया था जिसके मद्देनजर राहत व बचाव की तमाम तैयारियां पहले से की जा चुकी थी. जिसके परिणामस्वरूप स्थिति उतनी कठिन नहीं हुई जिसका अंदाजा लगाया गया था. मौसम विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक तमिलनाडु में 1994 के बाद से चेन्नई तट की ओर से कुंच करने वाला यह पहला बहुत जोरदार चक्रवाती तूफ़ान है. तूफान के बाद से राहत व बचाव कार्यों में प्रशासन जुट गया है. गिरे पेड़ों, बिजली के खम्भों और तहस–नहस को दुरुस्त करने के लिए एनडीआरएफ के छह दल और एसडीआरएफ के चार दल राहत कार्यों में लगे हुए हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि मंगलवार की शाम अथवा बुधवार तक जनजीवन पूर्णतया सामान्य पटरी पर लौट आएगा. बहरहाल, इस कठिन घड़ी में केंद्र तथा राज्य सरकारों की सुझबुझ और आपसी तालमेल के चलते हर स्थिति से निपटने की भरपूर तैयारी कर ली गई थी. इसी का नतीजा है लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया, सेना के जवान, कोस्टगार्ड के चार बड़े व छह पेट्रोलिंग जहाज, नेवी के 11 युद्धपोत समेत पुलिस प्रशासन, नगर निगम, फायर बिग्रेड सभी को तैयार रखा गया था ताकि किसी बड़े हादसे से आसानी से निपटा जा सके. वहीँ कांचीपुरम स्थित परमाणु संयंत्र की भी वरदा तूफान के मद्देनजर चौकसी बढ़ा दी गई है. मौसम विभाग के मुताबिक वरदा अब कमजोर पड़ चुका है गोवा पहुंचते –पहुंचते यह पूरी तरह कमजोर पड़ जाएगा. खैर, इतने एहतियात के बावजूद केंदीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने तमिलनाडु में मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम व आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चद्रबाबू नायडू से फोन पर हालात का जायजा लिया और वरदा चक्रवात को देखते हुए हरसंभव सहयोग करने का आश्वासन दिया. गौरतलब है कि इससे पहले भी देश में भिन्न –भिन्न नाम से चक्रवाती तूफान आते रहे हैं. एक भयंकर आपदा के रूप में 2013 में फैलिन आया था. इसीप्रकार ‘हुदहुद’ लगभग दौ सौ किलोमीटर से अधिक की रफ़्तार से अक्टूबर 2014 में आंध्र प्रदेश के तटीय शहर विशाखापत्तनम से टकराया था. तूफान प्रभावित क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन और बुनियादी सुविधाओं को सुनिश्चित करना सदैव चुनौतीपूर्ण रहा है. समुद्री चक्रवात एक ऐसी विपदा है जिससे निपटने के लिए योजनाबद्ध ढंग से रणनीति बनाकर समय रहते कम किया जा सकता है. तकनीकी के बढ़ते चलन व मौसम वैज्ञानिकों की दक्षता, आपदा प्रबंधन अधिकारियों के समय रहते कार्यवाही के चलते प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने में देश पहले की तुलना में अधिक सक्षम हुआ है. उपग्रह के जरिये मौसम के पूर्वानुमान की आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध होने से जब भी कोई बड़ा चक्रवात अथवा तूफान आने वाला होता है इसकी सटीक जानकरी हमें प्राप्त हो जाती है. जिससे प्रशासन, आपदा प्रबंधन आमजनता की सहायता तथा राहत व बचाव कार्य की तैयारी पूरी कर ली जाती है. ऐसे समय में प्रायः यह भी देखने को मिलता है कि प्रशासन द्वारा अल्टीमेटम के बावजूद लोग घरों से निकल जाते हैं अथवा एहतियात के लिए जो अपील सरकार द्वारा की जाती है उसे दरकिनार करने का दुस्साहस करते हैं. परिणामस्वरूप किसी अप्रिय घटना की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. जनता को भी इन आपदाओं के कठिन समय में धैर्य का परिचय देना चाहिए तथा प्राप्त निर्देशों का पालन करना चाहिए. बहरहाल, मौसम विभाग की सटीक भविष्यवाणी और प्रशासन की चुस्ती की वजह से चक्रवात वरदा से एक बड़ा संकट आसानी से टल गया. वरदा को लेकर शुरू से यह अंदाज़ा लगाया गया था इसके आने के पश्चात् जानमाल को भारी नुकसान होगा तथा इसके दुष्परिणाम दूरगामी होंगे. किन्तु कुशल रणनीति और आपदा प्रबंधन की सुझबुझ के चलते हम प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में अब सक्षम होते जा रहे हैं.
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