सिद्धरमैया को बर्खास्त करे आलाकमान
भ्रष्टाचार के आरोपों से चौतरफा घिरी कांग्रेस की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं हैं.वर्तमान दौर में कांग्रेस की परिस्थिति देखकर ऐसा लग रहा है मानों कांग्रेस के राज्य और राष्ट्रीय स्तर के नेताओं में भ्रष्टाचार करने की प्रतिस्पर्धा चल रहीं हो.एक तरफ राष्ट्रीय नेतृत्व भ्रष्टाचार के आरोपों से घिर रहा हैं तो, वहीँ दूसरी तरफ कांग्रेस शासित राज्य कर्नाटक से जो खबर आ रही है.वो किसी भी सूरतेहाल में कांग्रेस के लिए सही नहीं हैं.जाहिर है कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की कई मसलों पर पहले भी किरकिरी हो चुकी है.इसबार आरोप है कि मुख्यमंत्री सिद्धरमैया अपने बेटे को सरकारी अस्पताल में लैब और डायग्नोस्टिक सुविधा बनाने का ठेका सभी नियम –कानून को ताक पर रखते हुए दे दिया है.मामला जैसे ही सामने आया एकबार फिर सिद्धरमैया सबके निशानें पर आ गये है. विपक्ष इस पुरे मुद्दे की जाँच सीबीआई से कराने की मांग करने लगा है,बढ़ते दबाव के बीच उनके बेटे यतींद्र सिद्धरमैया ने मैट्रिक्स इमेजिंग सल्यूशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर पद से इस्तीफा दे दिया है.गौरतलब है कि ठेका इसी कंपनी को दिया था हालाँकि यह कंपनी उनके दोस्त की है जिसमें यतींद्र पार्टनर थे.खैर,सिद्धरमैया ने इस मसले पर दलील देते हुए कहा है कि टेंडर का आवंटन करते वक्त सभी नियमों का पालन किया गया है,फिर सवाल उठता है कि जब ठेके की प्रक्रिया पारदर्शी थी तो यतींद्र का इस्तीफा क्यों ? सवाल की तह में जाएँ तो विपक्षी पार्टियाँ लगातार इस मसले पर मुख्यमंत्री पर भाई –भतीजावाद का आरोप लगा रहीं है,विपक्ष का हमला बढ़ता जा रहा था जिससे मुख्यमंत्री पूरी तरह से दबाव में आ चुके हैं,वही जब यह प्रकरण कांग्रेस आलाकमान के पास पहुंचा तो उसनें भी इस मुद्दे पर नाखुशी जाहिर की तथा इस मामले के निपटारे के लिए ये सलाह दिया कि बेटे यतींद्र का इस्तीफा ले लें बात यहीं समाप्त नहीं होती कर्नाटक प्रभारी और कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने तो खुलेआम कह दिया था कि यतींद्र को इस्तीफा दे देना चाहिए.इससे स्पष्ट होता है कि विपक्षी पार्टियों से कहीं ज्यादा हाईकमान के दबाव में आकर यतींद्र ने इस्तीफा दिया ताकि मामले को खत्म किया जा सके.बहरहाल,बेटे का इस्तीफा दिलवाकर सिद्धरमैया ने एक तीर से दो निशानें साधे हैं,पहला ज्यों इस्तीफा हुआ विपक्ष के पास कहने को कुछ खास रहा नहीं और दूसरा इस इस्तीफे से सिद्धरमैया नें अपनी कुर्सी बचानें का दाव खेला है लेकिन, मीडिया में आ रहीं खबरों के मुताबिक सिद्धरमैया ने विपक्षी दलों को तो चुप करा दिया पंरतु कांग्रेस आलाकमान को रिझाने में विफल साबित हुए हैं.कयास लगाएं जा रहें है कि सिद्धरमैया के अड़ियल स्वभाव और काम –करने के तरीको से पार्टी हाईकमान नाराज है और जल्द ही उनके मुख्यमंत्री की कुर्सी छीन सकती है.हालाँकि सिद्धरमैया इस प्रकार की सभी चर्चाओं को सिरे से ख़ारिज करते हुए कहा है कि उनकी कुर्सी पर कोई खतरा नहीं है. इन सब के बीच नए मुख्यमंत्री के नामों को लेकर भी अटकलें तेज़ हो गई हैं.मुख्यमंत्री के दावेदारी में दो नाम सबसे आगें है.जिसमें पहला नाम राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एसएम कृष्णा का है.जो अभी हालहि में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी से मुलाकत कर पार्टी को संकट से उबारने का भरोसा दिलाया है और दूसरा नाम राज्य के गृह मंत्री जी परमेश्वर का है,परमेश्वर ने भी पिछले सप्ताह सोनिया गाँधी से मुलाकात कर राज्य की वर्तमान राजनीतिक हालातों पर चर्चा किये थे.हालाँकि ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस दलित वोटबैंक को रिझाने के लिए जी परमेश्वर को मुख्यमंत्री न्युक्त कर सकतीं हैं.इन सब मुलाकतों से एक बात तो स्पष्ट है कि कर्नाटक की राजनीति में कोई बड़ा उलटफेर होनें वाला है.दिलचस्प बात यह भी है कि राज्य के अन्य नेताओं से मिलने का समय कांग्रेस अध्यक्ष के पास है पंरतु मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने जब सोनिया गाँधी से मिलने की इच्छा जाहिर कि तो उन्हें व्यस्त कार्यक्रमों का हवाला देकर टाल दिया गया. बहरहाल,यह पहला मौका नहीं है जब सिद्धरमैया सरकार पर सवाल उठे हो इससे पहले भी कई बार सिद्धरमैया पर भ्रष्टाचार तथा उनके कामकाज के तरीको पर सवाल उठतें रहें हैं.मसलन अभी कुछ महीनों पहले की बात है जब मुख्यमंत्री की करीब सत्तर लाख की घड़ी को लेकर पुरे राज्य की सियासत गर्म हो गई थी,सभी विपक्षी दल ये सवाल उठा रहे थे कि मुख्यमंत्री के पास इतना पैसा कहाँ से आया ? घड़ी को लेकर घिरे सिद्धरमैया ने उस घड़ी उपहार बताया था.बावजूद इसके घड़ी को लेकर कई रोज हंगामा चलता रहा.मुख्यमंत्री की विवादस्पद घड़ी के चलते विपक्षी दलों ने विधानसभा तक नही चलने दिया था.चारो तरफ आलोचना झेलने के बाद घड़ी विवाद उस वक्त थमा जब मुख्यमंत्री ने इस घड़ी को राज्य की संपत्ति घोषित कर दिया.इसीप्रकार मुख्यमंत्री पर एक कमिश्नर को चांटा मारने वाला विडियो सामने आ चुका है, जिसमें सिद्धरमैया गुस्से में आकर एक शख्स को चांटा मारते है वायरल विडियो को जब ठीक दे देखा गया तो पता चला कि ये शख्स बेल्लारी नगर निगम कमिश्नर हैं.मुख्यमंत्री ने इस विडियो को अपने खिलाफ झूठा प्रचार बता कर खारिज कर दिया था.इस प्रकार सिद्धरमैया के ऊपर लगे आरोपों की एक लंबी फेहरिस्त है जो उनके शासनकाल में बढ़ते भ्रष्टाचार और कुशासन के दावों की पुख्ता करती हैं.अब देखने वाली बात होगी की कई गंभीर आरोपों से घिरे सिद्धरमैया को लेकर जो अफवाहें चल रहीं है,उसमें कितनी सच्चाई है लेकिन अगस्ता वेस्टलैंड मामले में कांग्रेस अध्यक्ष समेत पार्टी के कई आला नेताओं के नाम सामने आने से कांग्रेस बुरी फंसती दिख रही है ऐसे में इस मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए कांग्रेस सिद्धरमैया को बर्खास्त कर सकती हैं.अगर कांग्रेस ऐसा करती है तो कहीं न कहीं पार्टी के ऊपर जो भ्रष्टाचार के आरोप लग रहें है उससे निपटने में पार्टी को बल मिलेगा.
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