ऑपरेशन सिंदूर : भारत का आकाशीय प्रहार

भारत की शक्ति और रणनीति का अभूतपूर्व प्रदर्शन

जब राष्ट्र की सीमाएँ धधकती हैं और वीर जवानों का लहू मातृभूमि के चरणों में अर्पित होता है, तब प्रतिशोध केवल एक प्रतिक्रिया नहीं, एक राष्ट्रीय कर्तव्य बन जाता है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ इसी कर्तव्य का प्रत्यक्ष उदाहरण है—एक ऐसा साहसिक अभियान जिसने भारत के सुरक्षा सिद्धांतों में एक निर्णायक मोड़ प्रस्तुत किया। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ केवल एक सैन्य कार्यवाही नहीं, बल्कि आतंकी हमलों के खिलाफ एक निर्णायक प्रतिक्रिया का अभूतपूर्व प्रतीक है। इस ऑपरेशन ने भारतीय सुरक्षा बलों की चतुराई, शौर्य, सैन्य कौशल और कूटनीतिक सफलता को स्पष्ट रूप से उजागर किया, और साथ ही यह संदेश भी दिया कि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ अपनी नीति को और अधिक कठोर बना चुका है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की शुरुआत 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद हुई, जिसमें 26 निर्दोष नागरिक मारे गए थे। ये लोग पर्यटन कर रहे थे और उनकी हत्या एक सोची-समझी रणनीति के तहत की गई थी। पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन इस्लामिक रेजिस्टेंस फ्रंट ने इस हमले की जिम्मेदारी ली, जो लश्कर-ए-तैयबा का एक उपसंस्था है। इस हमले के बाद भारत सरकार ने स्पष्ट रूप से पाकिस्तान को चेतावनी दी कि अब वह आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई में कोई कोताही नहीं बरतेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्पष्ट कहा था कि आतंकियों की कल्पना से कठोर जवाब मिलेगा और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ उसका प्रमाण है।

           इस सैन्य ऑपरेशन का उद्देश्य पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (पीओके) के आतंकवादी ठिकानों को नष्ट करना था। भारतीय वायुसेना के राफेल लड़ाकू विमानों ने इस मिशन को अंजाम दिया। इन विमानों में स्कैल्प (SCALP) क्रूज मिसाइलें और एएएसएम हैमर बम थे, जो अत्यधिक सटीकता से लक्ष्यों को निशाना बनाते हैं। ऑपरेशन की योजना पूरी तरह से खुफिया जानकारी पर आधारित थी, जो सैटेलाइट इमेजिंग और ग्राउंड इंटेलिजेंस से प्राप्त की गई थी। हमले में पाकिस्तान के बहावलपुर, मुरिदके, सियालकोट, कोटली और मुज़फ़्फराबाद जैसे इलाकों के आतंकी प्रशिक्षण शिविरों और शस्त्रागारों को निशाना बनाया गया। भारत के इस ऑपरेशन को एक सटीक और लक्षित हमला माना गया। इसके परिणामस्वरूप 70 से अधिक आतंकवादी मारे गए, जिनमें कुछ शीर्ष कमांडर भी शामिल थे। पाकिस्तान की सेना के किसी भी ठिकाने को नुकसान नहीं पहुंचाया गया, जिससे यह साफ संदेश गया कि भारत की कार्रवाई केवल आतंकवादियों के खिलाफ थी, न कि पाकिस्तान के नागरिकों या सैन्य प्रतिष्ठानों के खिलाफ। पाकिस्तान ने इस हमले को अपनी संप्रभुता पर हमला करार दिया और जवाबी कार्रवाई की गीदड़ भभकी दी, लेकिन उसकी प्रतिक्रिया असंगत और भ्रमित करने वाली है। पाकिस्तान ने यह दावा किया कि उसने पांच भारतीय विमान गिरा दिए, लेकिन भारतीय वायुसेना ने इस दावे को पूरी तरह नकार दिया है।

    अब भारत किसी भी प्रकार के आतंकी हमले पर चुप बैठने वाला नहीं है, बल्कि दृढ़तापूर्वक और सक्रिय रूप से इसका खात्मा करने को तत्पर है। यह बयान केवल एक राजनीतिक बयान नहीं था, बल्कि यह भारत के नए दृष्टिकोण का स्पष्ट संकेत था। भारत ने इस ऑपरेशन के माध्यम से अपनी सैन्य क्षमता को स्पष्ट रूप से दुनिया के सामने पेश किया है। यह भारतीय सुरक्षा बलों का एक सामरिक कदम था, जो आतंक के खिलाफ चल रहे वैश्विक युद्ध में एक मजबूत संदेश दे रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में पहली पंक्ति में है। पहले सर्जिकल स्ट्राइक बाद में एयर स्ट्राइक और पहलगाम हमले के बाद मिशन सिंदूर की सफलता ने बता दिया है कि नरेन्द्र मोदी साहसिक निर्णय लेने से पहले उसके सभी आयामों पर विचार करके लक्ष्यों को साधने वाले असाधारण नेतृत्व शक्ति उनमें भरी हुई है। हमारी सेना का शौर्य, पराक्रम और साहस ने देश को गौरव की भावना से अभिभूत किया है।

बहरहाल, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान के अंदर के राजनीतिक और सैन्य टुकड़ी में उथल-पुथल मच गई। पाकिस्तान ने इसे एक युद्ध जैसी कार्रवाई करार दिया और भारत से शांति की अपील की। हालांकि पाकिस्तान का यह आक्रामक रुख भारत की जवाबी कार्रवाई के सामने कमजोर साबित हुआ। इस ऑपरेशन ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत अब अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा में कोई भी समझौता नहीं करेगा और आतंकवाद के खिलाफ उसकी नीति में कोई ढील नहीं होगी।

यह ऑपरेशन सिर्फ भारत के लिए एक सैन्य जीत नहीं था, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ एक महत्वपूर्ण संदेश था। भारत ने यह साबित कर दिया कि वह अब अपनी सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के लिए किसी भी अनुशासित सीमा तक जा सकता है। यह घटनाक्रम भारतीय सैन्य रणनीति, कूटनीति और राजनीतिक दृढ़ता का एक आदर्श उदाहरण है, जो भविष्य में भारत की रक्षा नीति को नई दिशा देगा। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने यह साबित कर दिया कि दुनिया में बदलाव आ चुका है और भारत अब आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक भूमिका निभा रहा है। यह ऑपरेशन सिर्फ एक सैन्य रणनीति का हिस्सा नहीं, बल्कि यह उसी दृढ़ संकल्प का प्रतीक है।

इस सैन्य कार्रवाई ने एक नया आयाम प्रस्तुत किया है, जो न केवल भारत की शक्ति और प्रौद्योगिकी की श्रेष्ठता को दर्शाता है, बल्कि यह यह भी सिद्ध करता है कि अब भारत एक नए आत्मविश्वास के साथ अपनी सीमाओं की रक्षा करेगा। इस ऑपरेशन के बाद भारत ने न केवल पाकिस्तान, बल्कि पूरी दुनिया को यह संदेश दिया है कि भारतीय सेना आतंकवाद के खिलाफ अब पहले से कहीं ज्यादा ताकतवर और सक्रिय है। यह केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि एक कूटनीतिक सफलता भी थी, जिसमें भारत ने अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करते हुए वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को मजबूत किया। इस ऑपरेशन ने न केवल भारतीय सेना के कौशल को प्रदर्शित किया, बल्कि यह भारत के आत्मविश्वास और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति उसके संकल्प को भी उजागर किया है।

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