दोस्ती के लायक नही पाकिस्तान
आदर्श तिवारी –
जिसका अनुमान पहले से लगाया जा रहा था वही हुआ.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लाहौर यात्रा के ठीक एक सप्ताह बाद पाकिस्तान का फिर नापाक चेहरा हमारे समाने आया है.भारत बार –बार पाकिस्तान से रिश्तों में मिठास लाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है.लेकिन कहावत है ताली दोनों हाथो से बजती है एक हाथ से नही.पाकिस्तान की तरफ से आये दिन संघर्ष विराम का उल्लंघन ,गोली –बारी को नजरअंदाज करते हुए भारत पाकिस्तान से अच्छे संबध बनाने के लिए तमाम कोशिश कर रहा है.भारत की कोशिश यहीं तक नही रुकी हमने उन सभी पुराने जख्मों को भुला कर पाकिस्तान की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया लेकिन पाक परस्त आतंकियों ने आज हमे नये जख्म दिए है गौरतलब है कि एक तरफ पाकिस्तान के सेना प्रमुख इस नये साल में पाक को आतंक मुक्त होने का दावा कर रहें है.वही पठानकोट में एयरफोर्स बेस हुए आतंकी हमले ने पाकिस्तान के आतंक विरोधी सभी दावों की पोल खोल दिया.ये पहली बार नही है जब पाकिस्तान की कथनी और करनी में अंतर देखने को मिला हो पाकिस्तान के नापाक मंसूबो की एक लंबी फेहरिस्त है.जिसे याद करने पर दिल दहल जाता है.ऐसे मानवीयता पर हमला करने वाले तथा आतंकियों का पोषण करने वाले पाकिस्तान से हमने वार्ता बहाल किया ताकि दोनों देशों में शांति रहें. प्रधानमंत्री खुद साहसी पाक योजना का परिचय देते हुए नवाज शरीफ के जन्मदिन पर उनके घर गये.जिसका मतलब स्पष्ट था हम मित्रवत संबंध चाहते है लेकिन पाकिस्तान ने हमेसा हमारे पीठ पर खंजर घोपने का काम किया है.शनिवार तड़के करीब 3:30 बजे भारतीय सेना की वर्दी में भारी मात्रा में आरडीएक्स लेकर घुसे आतंकियों ने पठानकोट में एयरफोर्स बेस पर हमला कर दिया.सुरक्षाबल और आतंकियों के बीच 70 घंटो से भी अधिक समय तक चली मुठभेड़ में हमारे जवानों ने आतंकियों को ढेर कर दिया.हलाँकि अभी भी सर्च ऑपरेशन जारी है.इस संघर्ष में हमारे सात जवान शहीद हो गये तथा पांच जवान घायल है.पाकिस्तान की यूनाइटेड जिहाद काउंसिल ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है.बहरहाल ये तो स्पष्ट हो गया है कि आतंकी पाक पोषित ही है.उधर पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भी इस घटना की निंदा करने हुए मदद का भरोषा दिलाया है.जो एक तरह से जुमला है.पाक कभी भी आतंक को रोकने के लिए कोई बड़ा कदम नही उठाया है.हमे यह मान लेना चाहिए कि पाकिस्तान एक विफल देश है जहाँ आतंकवाद फलता –फूलता है.पाकिस्तान में बढने आतंकवाद के चलते,उसे हमेसा विश्व मंच पर संदिग्ध नजर से देखा जाता है. लेकिन पाकिस्तान ने अपनी छवि सुधारने में अभी तक कोई कवायद नही की है.नतीजन आज अमेरिका,यूरोप सभी देश पाकिस्तान को कड़े शब्दों में निर्देश दे रहें है कि आतंक को रोकिये लेकिन आतंक के मोर्चे पर नवाज शरीफ पूरी तरह विफल रहें है.पाकिस्तान से पनपे आतंकी सबसे ज्यादा भारत के लिए खतरा उत्पन्न करते है. हमारे यहाँ जब भी कोई आतंकी हमला होता हमारे पास इस बात की पुख्ता सबूत होता है कि आतंकी पाक पोषित ही है.लेकिन पाकिस्तान कभी इस सच को स्वीकार नही करता.पठानकोट में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान ने मदद का भरोषा दिया है तो क्या अब पाकिस्तान ये स्वीकार करेगा कि आतंकी पाकिस्तानी है? हमारी जाँच एजेंसियों के हाथ पुख्ता सुबूत हाथ लगे है जिससे साबित हो जाता है कि आतंकी पाक के ही है. इस आतंकी घटना से कई सवाल उठ खड़े होते है.पहला सवाल अलर्ट के बाद भी सरकार और एजेंसियां क्या कर रही थी ? दूसरा सवाल ये कि कब -तक हम पाकिस्तान की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाते रहेंगे ?आखिरी सवाल 15 जनवरी को दोनों देशों के बीच विदेश सचिवों की वार्ता पर इस आतंकी हमले का क्या प्रभाव पड़ेगा ? पहले सवाल को देखे तो साफ पता चलता है कि सरकार और जाँच एजेंसियों ने चुक किया है अगर अलर्ट था तो आतंकी भारतीय सीमा में कैसे प्रवेश कर गये.इसके अतिरिक्त एयरबेस सुरक्षा घेरे में भी कमी होने की बात सामने आई है.सरकार तथा सेना को यह तक पता नही था कि कितने आतंकी एयरबेस के अंदर मौजूद है.एकतरफ शनिवार को ऑपरेशन खत्म होने की घोषणा की गई थी वही दूसरी तरफ रविवार दोपहर फिर से आतंकवादियों और सैन्य बलों के बीच गोलीबारी शुरू हो गई.ये चुक निश्चित ही हमारे देश की सुरक्षा व्यवस्था पर सवालियां निशान लगा रहें है..दूसरे सवाल की तह में जाए तो भारत कई बार पाकिस्तान की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा चुका है इसके बावजूद पाकिस्तान के रवैये में कोई सकारात्मक बदलाव देखने को नही मिला है.मोदी पड़ोसियों से संबंध अच्छे बनाने के लिए एक अच्छे कूटनीति का परिचय दिए है लेकिन इसमें पाकिस्तान को लेकर अभी तक उनकी नीति विफल रही है.हमारे लाख कोशिशों के बाद भी पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज़ नही आ रहा है.शपथ ग्रहण समारोह में शरीफ के आमंत्रण से लेकर लाहौर जाने तक मोदी सरकार का एक ही मंत्र था कि दोनों देशों के दरमियान शांति और भाईचारा हो.लेकिन अब ये बर्दास्त की पराकाष्ठा है कि एक के बाद एक आतंकी हमले हो रहें है और हम शांति का राग अलाप रहें है.अब समय आ गया है कि सरकार ऐसे हमलों पर कड़ी कार्यवाही करें न की दोस्ती का राग अलापे.अंतिम सवाल पर गौर करें तो मोदी के लाहौर लौटने के कुछ ही घंटो बाद ये खबर आई कि 15 जनवरी को भारत और पाकिस्तान विदेश सचिव स्तर की वार्ता होनी है.ये सही है कि दोनों देशों के बीच ये वार्ता घोषित तिथि पर हो, लेकिन भारत को अब पाकिस्तान के प्रति अपना कड़ा रुख रखना होगा,बात केवल व केवल आतंक पर हो.पाकिस्तान द्वारा किये गये सारे आतंकी हमलों के सुबूत हमारे पास मौजूद है.इस वार्ता के माध्यम से पाक को ये चेतावनी देने की जरूरत है कि किसी भी सुरत में भारत आतंक व बातचीत एकसाथ जारी नही रख सकता अगर पाक, भारत से अच्छा संबंध रखना चाहता है तो, 26/11 समेत उन सभी आतंकियों के प्रति कड़ी कायवाही करें.अन्यथा हम हाथ पर हाथ धरे नही बैठने वाले.इस वार्ता को रदद् नही करना चाहिए बल्कि इस वार्ता का उद्देश्य एक होना चाहिए कि इस हमले पर पाक सरकार जल्द कार्यवाही करे तथा इसके साथ ये भी हिदायत दी जानी चाहिए कि अब अगर इस प्रकार की कोई घटना होती है तो, हमारे सैनिक युद्ध के लिए तैयार बैठे है.देश अब आतंक से त्रस्त आ चुका है.ये सही है कि सरकार पड़ोसी देशों से अच्छे संबध रखें लेकिन पाकिस्तान के लिए ये संभव नही दिख रहा .