हम गरजते तो बहुत हैं बरसेंगे कब ?

     

दक्षेस सम्मेलन में शिरकत करने पाकिस्तान पहुंचे भारतीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने आतंकवाद पर पाकिस्तान को उसी की धरती पर खूब खरी –खोटी सुनाई है.राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में पाक सरकार की काली करतूतों को सबके सामने उजागर कर दिया है. इस बात का अंदाज़ा पाकिस्तान को पहले से ही था. परिणामस्वरूप प्रायोजित ढंग से भयभीत पाकिस्तान ने राजनाथ सिंह के भाषण के प्रसारण पर न केवल भारतीय मीडिया बल्कि पाक समेत सभी अन्य देशों के पत्रकारों को कवरेज से रोक दिया.भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में वर्षों से तल्खी का माहौल रहा है, किंतु इस तरह से किसी नेता के साथ सलूक नहीं किया गया था. आतंकवाद पर अंकुश लगाने और तस्करी रोकने के मकसद से आयोजित सम्मलेन में भारतीय गृहमंत्री का भाषण विश्व समुदाय को पाक के आतंक परस्ती से परिचित कराता है.यही कारण है कि राजनाथ सिंह के वक्तव्य से पाकिस्तान बौखला उठा, अपने संबोधन में गृहमंत्री ने कहा कि आतंकवाद अच्छा या बुरा नहीं होता है, आतंकियों को शहीद बताकर उनका महिमामंडन नहीं होना चाहिए.जाहिर है कि इस आयोजन के कुछ सप्ताह पहले ही कश्मीर में मारे गये हिजबुल आतंकी बुरहान वानी को पाक सरकार ने शहीद बताते हुए ब्लैक डे मनाया था.कितनी हास्यास्पद स्थिति है कि जो देश आतंकियों को शहीद बताकर उनका महिमामंडन कर रहा हो, यही नहीं उसका खुलकर इस्तेमाल भारत के विरूद्ध करता हो. वह देश आतंकवाद पर नैतिकता का पाठ पढ़ा रहा है.भारत और पाकिस्तान के बीच की तकरार जगजाहिर है, हालाँकि इस तकरार को खत्म करने की भारत ने कई बार कोशिश की. किंतु पाकिस्तान के रुख में कोई बदलाव नहीं आया, हर बार पाकिस्तान ने हमारे पीठ में खंजर घोपने का काम किया है.फिर भी हमने कोशिशें जारी रखीं और हमारी नीति भी पड़ोसी देशों से मित्रवत संबध रखने की रही है. बहरहाल, भारत में हर आतंकी हमला पाक द्वारा प्रयोजित होता है.दरअसल जब समूचा विश्व आतंकवाद का दंश झेल रहा हो, इससे लड़ने को एकजुट हो रहा हो,ऐसे वक्त में पाकिस्तान का असहज होना स्वाभाविक है.यह बात भी समूचा विश्व जानता है कि पाकिस्तान आतंकियों के लिए सबसे सुरक्षित देश है और पाक सरकार आतंकियों के आगे नतमस्तक है. भारत सरकार हर एक मंच से पाक की नापाक करतूतों का पर्दाफाश करती रही है और विश्व पटल पर पाकिस्तान के आतंक विरोधी स्वांग की हक़ीकत बताती रही है.गौरतलब है कि राजनाथ सिंह के भाषण का प्रसारण रुकवाकर मेज़बान देश पाकिस्तान ने मेज़बानी की शिष्टता का उल्लंधन किया है. शरीफ सरकार ने भारतीय गृहमंत्री के साथ जो व्यवहार किया है वह घोर निंदनीय है. इसके कई प्रमुख कारण हैं, नई दिल्ली भी इस्लामाबाद को लेकर कूटनीतिक स्तर पर कोई ठोस रणनीति नहीं दिखा पा रही है.कभी शांति वार्ता बहाल होती है,तो कभी दोनों देशों के बीच की द्विपक्षीय वार्ता रद्द हो जाती है. ज्यादा से ज्यादा हम दोनों देशों के बीच क्रिकेट मैच को स्थगित कर देते हैं, यह एक लचर कूटनीति का नमूना है.हमें तय करना होगा कि हमें पाक के साथ कैसे संबंध रखने हैं.भले ही गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने पाक को उसके घर में लताड़ा हो पर क्या इससे पाकिस्तान के रुख में बदलाव आएगा? जाहिर है कि पाकिस्तान सरकार भारत के खिलाफ विध्वंसकारी सोच रखती है और समय –समय पर भारत को गहरे जख्म देती रही है, जब भी भारत में कोई आतंकवादी हमला होता है  उसके तार निश्चित रूप से पाकिस्तान से जुड़े होते हैं.हमारे पास पाक समर्थित आतंकियों के पुख्ता सबूत होने के बावजूद भी हम कोई बड़ी कार्यवाही नहीं कर पाते हैं.हाफिज सईद, मौलाना मसूद अजहर जैसे घोषित आतंकवादी पाक सरकार की सरपरस्ती में खुलेआम घूम रहें हैं. इसमें कोई दोराय नहीं कि भारतीय गृह मंत्री ने अपने दक्षेस संबोधन से नवाज शरीफ को असहज कर दिया,इसके लिए गृहमंत्री की तारीफ की जानी चाहिए.लेकिन हम ये कैसे भरोसा कर लें कि पाकिस्तान इस संदेश को गंभीरता से लेगा? एक के बाद एक आतंकी हमले कर पाकिस्तान ने ये बता दिया है कि वो अपनी आदतों से बाज़ नहीं आने वाला है. वह हमेशा भारत के खिलाफ़ आतंकवाद का इस्तेमाल करता रहा है जिसके परिणाम भारत के लिए भयावह रहें हैं. कभी 26/11 से मुंबई दहलता है तो कभी दिल्ली पाक के आतंक से लहूलुहान होता है,पठानकोट आतंकी हमले समेत पाक द्वारा किये गये आतंकवादी हमलों की एक लंबी फेहरिस्त है. जो बार –बार इस यक्ष प्रश्न को खड़ा कर रही है कि हम पाक को उसकी भाषा में जवाब कब  देंगे? हमारे सैनिक हर रोज़ पाकिस्तानी गोलियों से छलनी हो रहें हैं और हम वाक युद्ध में उलझकर खुद की पीठ थपथपा ले रहें हैं.अब मान –मनौल की कूटनीति बंद होनी चाहिए, पानी अब सर के ऊपर जा चुका है,अब वक्त गरजने का नहीं बरसने का है.ऐसी लताड़ भारत पाकिस्तान को हमेशा से देता आया है किंतु कोई सार्थक परिणाम हमें नहीं मिले हैं. हमारे इन सभी बयानों का पाकिस्तान के ऊपर रत्तीभर भी फर्क नहीं पड़ा है,आये दिन पाकिस्तान कश्मीर का राग अलापता रहता हैं, नवाज शरीफ पाक में ही नहीं वरन वैश्विक मंचो से भी कश्मीर की रट लगाएं रहते हैं.दूसरी तरफ भारत पाक अधिकृत कश्मीर का मुद्दा जोर-शोर से उठाने में विफल रहा है.आये दिन गुलाम कश्मीर में भारत में विलय की मांग उठती रही है,गुलाम कश्मीर की आवाम चीखे-चीख कर भारत में शामिल होने की बात कर रही है. बावजूद इसके नई दिल्ली इस मामले पर गंभीरता नहीं दिखा रही है. ध्यान दें,तो पिछले दिनों यह भी खबर आई थी कि गुलाम कश्मीर की जनता वहां हुए चुनाव में धांधली के खिलाफ सड़कों पर थी, यह पाकिस्तान के लोकतंत्र का स्याह सच है.जिसे दुनिया के सामने मजबूती से भारत सरकार को लाना ही होगा, यूं तो पाकिस्तान कई दफा कश्मीर और आतंकवाद पर मुंह की खा चुका हैं.किंतु उसकी निर्लज्जता ही है कि वह कश्मीर नाम की माला जपते रहता है.बहरहाल राजनाथ सिंह ने जिस तेवर के साथ यह कहा है कि उन देशों को अलग –थलग किया जाना चाहिए जो आतंकवादियो को मदद देते हैं.इन सब के बीच अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली करीब दो हजार करोड़ की सैन्य मदद पर इसलिए रोक लगा दी है क्योंकि पाकिस्तान द्वारा आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ़ पर्याप्त कदम नहीं उठाये गये. शरीफ सरकार के लिए यह एक बड़ा झटका है,इसी तरह सभी देशों को आतंकवाद को संरक्षण देने वालें देशों को कड़ा संदेश देना चाहिए. भारत को भी इस मुगालते से बाहर आना होगा कि पाकिस्तान को महज खरी –खरी सुना देने से वह सुधर जाएगा. 

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