भारत और बंग्लादेश के रिश्तों पर दौड़ेगी बंधन एक्सप्रेस
भारत और बंग्लादेश के बीच गुरुवार का दिन दोनों देशों के लिए बेहद एतिहासिक दिन रहा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बंग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिये बंधन एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाई.यह सुखद था कि इनदिनों मोदी सरकार के हर फैसले पर विरोध का झंडा बुलंद करने वाली बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी इस अवसर पर कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़ी रहीं. यह रेल सेवा सप्ताह में एक दिन बंग्लादेश के खुलना शहर से पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के बीच चलेगी.अगले सप्ताह यानी 16 नवंबर से यह रेल सेवा आम जनता के लिये शुरु हो जाएगी. यह क्रास कंट्री सेवा दोनों देशों के रिश्ते को बंधन एक्सप्रेस और मजबूती देगा. भारत और बंग्लादेश के बीच संबंधों में जो ऊंचाई पिछले दो सालों में देखने को मिली है,वह अभूतपूर्व है जाहिर है कि दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच बेहतर तालमेल का ही परिणाम है कि आज दोनों देशों के बीच परमाणु से लेकर आतंकवाद तक दोनों राष्ट्र एक ध्रुव पर खड़े होकर एक दुसरे के सहयोग से आगे बढ़ रहें हैं.यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि भारत और बंग्लादेश के बीच पहले मैत्री एक्सप्रेस ने दोनों को मित्रता के बंधन में बाँधा अब बंधन एक्सप्रेस दोनों देशों के मित्रता के बंधन को अटूट बनाने का काम करेगा. दोनों देशों ने जिस कूटनीति के साथ आगे बढ़ रहें है वह स्पष्ट तौर पर एक दुसरे को भरोसे में लेकर चलने वाली है.गौरतलब है कि तमाम प्रकार के विवाद बंग्लादेश से होते हुए धीरे –धीरे दोनों देश आपसी समझदारी से विवादों को निपटाकर एक दुसरे को मित्रवत साथ लेकर चलने की रणनीति अपना रहे हैं.शेख हसीना शुरू से ही भारत से अच्छे रिश्ते रखने की पक्षधर रहीं है और भारत की विदेश नीति शुरू से ही पड़ोसियों के साथ सहयोग की रही है और एक अच्छे पड़ोसी देश का भी यह कर्तव्य बनता है कि वह पड़ोसी देश की भावना का सम्मान करे, तो भारत की इस भावना को समझने में शेख हसीना के जरा भी देर नहीं किया और भारत के साथ संबंधों को नया आयाम दिया.परिणामस्वरुप अब दोनों देशों के बीच में जो विवाद था वह अब धीरे-धीरे सभी विवादों का निस्तारण एक –एककर हो रहा है.गौरतलब है कि 1996 में भारत और बंग्लादेश के बीच रिश्तों में गर्माहट आनी शुरू हुई, इस गर्माहट के बीच में ही उसी वर्ष गंगा जल समझौते पर बात बनी थी, इसके बाद 1997 में चकमा और अन्य पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले समूहों की स्वदेश वापसी अपने आप में इस बात के संकेत देती है कि दिल्ली और ढाका के बीच रिश्ते कितने मज़बूत हैं, यह ढाका की सत्ता पर कौन क़ाबिज़ है इस बात पर ज्यादा निर्भर करता है.इससे पहले 2015 नरेंद्र मोदी और शेख हसीना ने मिलकर चार दशक पुराने सीमा विवाद का हल निकाल उसपर ऐतिहासिक द्विपक्षीय सीमा समझौता किया. यह समझौता दोनों देशों के रिश्तें में नई जान फूंक दी.उसके बाद से मोदी और हसीना एक साथ,एक –दुसरे के सहयोग के लिए सदैव तत्पर दिखाई दिए.शेख हसीना जब भारत दौरे पर आई थीं तो, भारत से उन्होंने भावनात्मक संबंधों की भी बात कही थी.आज दोनों देशों की सुझ-बुझ का बंधन एक्सप्रेस इसका सबसे प्रमुख उदाहरण है.इससे पहले इसी वर्ष अप्रैल में जब बंग्लादेश की प्रधानमंत्री भारत के दौरे पर आई थी तभी स्पष्ट हो गया था कि शेख हसीना भारत के साथ आर्थिक,परमाणु,रक्षा सभी प्रमुख क्षेत्रों में भारत से सहयोग की अपेक्षा रखती हैं भारत भी इन सभी मसलों पर बंग्लादेश की मदद कर रहा है.चाहें बंग्लादेश के सैन्य आपूर्ति के लिए दिया गया पचास करोड़ डॉलर का अतिरिक्त कर्ज हो अथवा रेल संपर्क और सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढाने की बात इन सब से दोनों देशों के संबंधो में जो प्रगाढ़ता आई है.वह दीर्घकाल के लिए है अब यह उम्मीद भी जाग पड़ी है कि दोनों देश जल्द ही कई विवादों में सबसे प्रमुख तीस्ता संधि पर भी बात बन जाएगी जिसका भरोसा हसीना ने भारत यात्रा के दौरान दिया था.बहरहाल, इस समय दोनों देशों के बीच शुरू हुई यह रेल सेवा दोनों देशों के नागरिको के लिए यात्रा तो आरामदायक करेगी ही साथ विकास के नये द्वार के मार्ग को भी प्रशस्त करेगी. बंधन एक्सप्रेस दोनों देशों के कुटनीतिक समझदारी का एक बंधन है जो एस दुसरे के विश्वास और सहयोग की मिशाल है .
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